Village Dodua , Block & Dist. Sirohi (Rajasthan) 307001
Bhuvneshwar Mahadev |
"ॐ तत्पुरुषाय विद्ध्महे महादेवाय धिमाही तन्नो रूद्र: प्रचोदयात!!!"
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
- About Shiv Ling : शिवलिंग का अर्थ है शिव का आदि-अनादी स्वरुप। शून्य, आकाश,
अनन्त, ब्रह्माण्ड और निराकार परमपुरुष का प्रतीक होने से इसे लिंग कहा गया
है। स्कन्द पुराण में कहा है कि आकाश स्वयं लिंग है। धरती उसका पीठ
या आधार है और सब अनन्त शून्य से पैदा हो उसी में लय होने के कारण
इसे लिंग कहा है। वातावरण सहित घूमती धरती या सारे अनन्त
ब्रह्माण्ड (ब्रह्माण्ड गतिमान है) का अक्ष/धुरी (axis) ही लिंग है।
- "न" ध्वनि पृथ्वी का प्रतिनिधित्व करता है
- "मः" ध्वनि पानी का प्रतिनिधित्व करता है
- "शि" ध्वनि आग का प्रतिनिधित्व करता है
- "वा" ध्वनि प्राणिक हवा का प्रतिनिधित्व करता है
- "य" ध्वनि आकाश का प्रतिनिधित्व करता है
- इसका कुल अर्थ है कि सार्वभौमिक चेतना एक है ।
- ॐ नमः शिवाय: सबसे लोकप्रिय हिंदू मंत्रों में से एक है
और शैवसम्प्रदाय का महत्वपूर्ण मंत्र है। नमः शिवाय का अर्थ
"भगवान शिव को नमस्कार" या "उस मंगलकारी को
प्रणाम!" है। इसे शिव पञ्चाक्षर मंत्र या पञ्चाक्षर
मंत्र भी कहा जाता है, जिसका अर्थ "पांच-अक्षर"
मंत्र (ॐ को छोड़ कर) है। यह भगवान शिव को समर्पित है।
यह मंत्र श्री रुद्रम् चमकम् और रुद्राष्टाध्यायी में
"न", "मः", "शि", "वा" और
"य" के रूप में प्रकट हुआ है। श्री रुद्रम्
चमकम्, कृष्ण यजुर्वेद[ का
हिस्सा है और रुद्राष्टाध्यायी, शुक्ल यजुर्वेद का हिस्सा है।
- मंत्र की उत्पत्ति
- यह मंत्र कृष्ण यजुर्वेद के हिस्से श्री रुद्रम् चमकम् में मौजूद है। श्री रुद्रम् चमकम्, कृष्ण यजुर्वेद की तैत्तिरीय संहिता की चौथी किताब के दो अध्यायों से मिल कर बना है। प्रत्येक अध्याय में ग्यारह स्तोत्र या हिस्से हैं। दोनों अध्यायों का नाम नमकम् (अध्याय पाँच) एवं चमकम् (अध्याय सात) है। ॐ नमः शिवाय मंत्र बिना "ॐ" के नमकम् अध्याय के आठवे स्तोत्र में 'नमः शिवाय च शिवतराय च' के रूप में मौजूद है। इसका अर्थ है "शिव को नमस्कार, जो शुभ है और शिवतरा को नमस्कार जिनसे अधिक कोई शुभ नहीं है। यह मंत्र रुद्राष्टाध्यायी में भी मौजूद है जो शुक्ल यजुर्वेद का हिस्सा है। यह मंत्र रुद्राष्टाध्यायी के पाँचवे अध्याय (जिससे नमकम् कहते हैं) के इकतालीसवे श्लोक में 'नमः शिवाय च शिवतराय च' के रूप में मौजूद है।